सुश्रुत कौन थे ? Who is maharshi sushruta in Hindi (Father of surgery)

 

सुश्रुत कौन थे ? Who is maharshi sushruta in Hindi (Father of surgery)


प्रस्तावना:
हमें यह कहते हुए गर्व होता हैं की हम उस देश के वतनी हे जिसने दुनिया के देशों को विश्वशांति ओर मानवता के मूल्यों से परिचित करवाया हैं। हमने विश्व को शून्य (0-zero), पाई [π-Pai(value:3.14)] गणितिक अवयव यहातक की चेस (chess-game) भी भारत की दी हुई सोगात हे।
हमें आर्यभट्ट,रामानुज जैसे गणितशास्त्रीसी.वी.रामन ,स्वामीनाथन जैसे वेज्ञानिकि का अनूठा योगदान हमेशा याद रहेगा |

kuldip.Y.Detroja




1.परिचय: 

    महर्षि सुश्रुत प्राचीन भारत के महान आयुवेद के ज्ञानी ओर शल्यचिकित्सक थे। सुश्रुत ने धन्वन्तरि ऋषि से शिक्षा प्राप्त की थी।

   जन्म: सुश्रुत का जन्म 600 ई.सदी पूर्व[600 BCE] मे विश्वामित्र के कुल मे हुआ था। सुश्रुत शलिहोत्र के पुत्र थे।



आज विश्व के समुदाय उन्हें शल्याचिकितश्या के पिता (father of surgery) के नाम से सम्मान देते हैं । तदुपरांत सुश्रुत शल्यचिकितश्या,नेत्रमणि का पुनःस्थापन , प्लास्टिक सर्जरी मे निपुण थे ।


2. शल्यचिकित्शा की कार्यशैली:

आचार्य सुश्रुत शल्यचिकितश्या की शैली मे बेहतरीन थे।वो इंसान के किसी अंग को कटजाने , चिलजाने ,घाव को ठीक करने के लिए उस पसर चमड़ी का एक जगह से आवरण लेके उसे घाव पर प्रतिस्थापित कर के ठीक कर देते थे।आचार्य सुश्रुत ने नेत्रमणि स्थापन ,टूटीहड्डीओ को जोड़ना ,आयुर्वेद ,मनोविज्ञान जैसे विषयों मे भी निपूर्णता प्राप्त की थी।


शल्यक्रिया के शस्त्र: पुरातन समय मे 125 से ज़्यादा प्रकार के शल्यचिकित्यक शस्त्र-साधनो का निर्माण सुश्रुत ने स्वयं किया था । 300 प्रकार की ओपरेशन प्रक्रिया की शोध की थी।




शल्यचिकितश्या की पूर्वविधि : सुश्रुत चिकित्या से पहले साधनो को गरम पानी से साफ़ करते थे जिससे पता चलता हैं की उन्हें विषाणु(virus),सूक्ष्मजीव (bacteria) के बारे मे जानकारी थी । 

          ओपरेशन से पहले व्यक्ति की पिडा को कम ने के लिए ओर अचेत करने के लिए वे सोमरस (alcohol,morphin)का प्रयोग करते थे। 

  

4.आदर्श शिक्षक :

    सुश्रुत शल्यचिकिश्यक के साथ साथ आदर्श शिक्षक भी थे। प्रारंभिक शिक्षा के अभ्यास के लिये सब्ज़ी,फल ,मोम के पुतले पर शल्यक्रिया कर के अपने शिष्यों को समजाते थे। मानव शरीर की अंतस्थ:रचना समझाने के लिए शिष्यों को शव(मृतदेह) पर शल्यक्रिया का अभ्यास कराया जाता था। सुश्रुत के समय मे वैदिक शिक्षा प्रणाली प्रचलित थी। 



4.सुश्रुत संहिता- पुस्तक :

     सुश्रुतसंहिता शल्याचिकित्या पर सुश्रुत द्वारा लिखा गया ग्रंथ हे। आचार्य धन्वन्तरि के उपदेश से सुश्रुत ने शल्याचिकित्या पर ग्रंथ का निर्माण किया था।सुश्रुतसंहिता मे 120 अध्याय हे। दो भागो मे इसका विभाजन होता हैं।


 


21 मी सदी मे भी लोग सुश्रुतसंहिता से शल्यचिकित्या का ज्ञान ले रहे हे।सुश्रुतसंहिता सुश्रुत के अनुभवो का निचोड़ हैं।

    

5.उपसंहार 

         महर्षि  सुश्रुत ओर अन्य कई पुरातन भारतियों ने विज्ञान ओर कई क्षेत्रों मे अपना योगदान दिया हैं। उन्हीके परिश्रम से आज हमें विश्व मे हमें सम्मान ओर पहचान प्राप्त हुई हे।


         हम सुश्रुत जैसे महाभावी  से प्रेरणा लेके अपने ओर अपने देश के विकास की निव रख सकते हे।













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